हीरे से जुड़े दोष व्यक्ति की मुश्किलें कैसे बढ़ा सकते है जानें दुर्ग भिलाई ज्योतिष लक्ष्मी नारायण से

हीरे से जुड़े दोष व्यक्ति की मुश्किलें कैसे बढ़ा सकते है जानें दुर्ग भिलाई ज्योतिष लक्ष्मी नारायण से


हीरे से जुड़े दोष व्यक्ति की मुश्किलें कैसे बढ़ा सकते है जानें दुर्ग भिलाई ज्योतिष लक्ष्मी नारायण से

रत्न ज्योतिष में हीरे के पहनने के अनेक लाभ बताए गए हैं। यह माना जाता है कि ज्योतिषीय मार्गदर्शन के अनुसार हीरा धारण करने से आर्थिक संकटों का समाधान संभव है, किंतु हीरे से संबंधित दोष व्यक्ति की समस्याओं को और बढ़ा सकते हैं। इस प्रकार, हीरा पहनने से पहले सावधानी बरतना आवश्यक है।
 

ज्योतिष शास्त्र के अनुसार, हीरा पहनने से शुक्र ग्रह की स्थिति में सुधार होता है। शुक्र ग्रह को धन, ऐश्वर्य और सुख-समृद्धि का प्रतीक माना जाता है। यदि किसी की कुंडली में शुक्र ग्रह अशुभ स्थिति में हो, तो यह व्यक्ति के जीवन में अनेक कठिनाइयाँ उत्पन्न कर सकता है। ऐसे में, हीरे की अंगूठी पहनना या दान करना शुक्र ग्रह की शांति के लिए लाभकारी माना जाता है।
 

हीरा शुक्र ग्रह का प्रिय रत्न है, इसलिए इसे धारण करने से पहले ज्योतिषीय सलाह लेना अत्यंत महत्वपूर्ण है। यह सलाह आपको हीरा पहनने के नियमों और उससे जुड़े दोषों के बारे में जानकारी प्रदान करेगी। इस प्रकार, सही मार्गदर्शन के साथ हीरा धारण करने से व्यक्ति के जीवन में सकारात्मक परिवर्तन लाने की संभावना बढ़ जाती है।

हीरा धारण करने का शुभ समय

रत्न ज्योतिष के अनुसार, पौष मास के शुक्रवार को रोहिणी नक्षत्र में कम से कम सवा रत्ती का अष्टकोणीय हीरा पहनना अत्यंत शुभ माना जाता है। इस समय हीरा धारण करने से व्यक्ति को सकारात्मक फल प्राप्त होते हैं और यह उनके जीवन में समृद्धि लाने में सहायक होता है। 

हीरे के दोष 

यवदोष एक विशेष प्रकार का दोष है, जो हीरे में जौ के आकार के लंबे और मध्य में मोटे दाग के रूप में प्रकट होता है।  ऐसा माना जाता है कि इन हीरों के प्रभाव से आर्थिक समस्याएं धीरे-धीरे उत्पन्न हो सकती हैं, साथ ही जीवन में अन्य प्रकार की कठिनाइयों का सामना भी करना पड़ सकता है। ज्योतिष शास्त्र में इस प्रकार के हीरे को धारण करने से बचने की सलाह दी जाती है, क्योंकि यह आर्थिक संकटों और जीवन में विभिन्न परेशानियों का कारण बन सकता है। इस प्रकार, यवदोष वाले हीरे का उपयोग करने से पहले सावधानी बरतना आवश्यक है।

खुरदरा दोष तब होता है जब हीरे के किसी हिस्से को छूने पर खुरदरेपन का अनुभव होता है। इसे खुरदरा दोष कहा जाता है और यह माना जाता है कि इस रत्न को पहनने से जीवन में समस्याओं की संख्या बढ़ सकती है। इस प्रकार के दोष वाले हीरे का उपयोग करने से व्यक्ति की जीवनशैली में कठिनाइयाँ उत्पन्न हो सकती हैं।

छालदोष तब उत्पन्न होता है जब हीरे के किसी भाग से छाल उतर जाती है, जैसे कि अभ्रक की परतें निकलती हैं। इस स्थिति को छालदोष कहा जाता है और यह मान्यता है कि इस प्रकार का हीरा पहनने से व्यक्ति की शारीरिक शक्ति में कमी आ सकती है। इस दोष के कारण व्यक्ति की स्वास्थ्य स्थिति पर भी प्रतिकूल प्रभाव पड़ सकता है।

तारदोष वह स्थिति है जब हीरे में अभ्रक के समान तारों का जाल दिखाई देता है। इसे तारदोष कहा जाता है और यह माना जाता है कि इस प्रकार के हीरे को धारण करने से मानसिक तनाव में वृद्धि हो सकती है। इस दोष के कारण व्यक्ति की मानसिक स्थिति पर नकारात्मक प्रभाव पड़ सकता है, जिससे उसकी सामान्य जीवनशैली प्रभावित होती है।  

गढ़ा दोष वह स्थिति है जिसमें किसी भी आकार का गढ़ा हीरे में उपस्थित होता है। इसे गढ़ा दोष के रूप में जाना जाता है और यह माना जाता है कि यह स्वास्थ्य पर प्रतिकूल प्रभाव डाल सकता है। इस दोष के कारण हीरे की गुणवत्ता और उसकी मूल्यवर्धन में कमी आ सकती है।
 

हीरे में अन्य प्रकार के दोष भी होते हैं, जैसे कि बिंदुओं का होना, मलिनता, टूट-फूट, वृत्ताकार आकृतियाँ, और कोणों का असमान होना। इन सभी विशेषताओं को हीरे के दोष के रूप में देखा जाता है। यदि हीरे में छीटें या अन्य अव्यवस्थित बिंदु मौजूद हैं, तो यह रत्न की गुणवत्ता को प्रभावित कर सकता है।
 

इस प्रकार, गढ़ा दोष और अन्य दोष हीरे की मूल्यांकन में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। इन दोषों के कारण हीरे की सुंदरता और उसकी मूल्यवानता में कमी आ सकती है। इसलिए, हीरे की खरीदारी करते समय इन दोषों का ध्यान रखना आवश्यक है ताकि एक उत्तम और स्वस्थ रत्न का चयन किया जा सके।

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