पन्ना स्टोन के फायदे जानें दुर्ग भिलाई ज्योतिष लक्ष्मी नारायण से
नवग्रहों में बुध ग्रह का प्रतिनिधित्व पन्ना रत्न करता है। यह रत्न प्राचीन काल से ही मूल्यवान और लोकप्रिय रहा है। ज्योतिष शास्त्र के अनुसार, यदि किसी व्यक्ति की कुंडली में बुध ग्रह कमजोर स्थिति में हो, तो उस व्यक्ति को पन्ना रत्न धारण करने से बुध ग्रह के शुभ प्रभाव को बढ़ाने में सहायता मिल सकती है।
पन्ना रत्न गहरे हरे रंग में पाया जाता है, जबकि बैरुज पत्थर हल्का हरा, हल्का नीला और पीले रंग में भी उपलब्ध होता है। शुद्ध और निर्दोष पन्ना रत्न की पहचान करना महत्वपूर्ण है, क्योंकि यह उसकी गुणवत्ता और मूल्य को निर्धारित करता है।
पन्ना रत्न को संस्कृत में हरितमणि, मरकत, गोरुण और गरलारि जैसे विभिन्न नामों से जाना जाता है। देवनागरी लिपि में इसे पन्ना कहा जाता है, जबकि बँगला में इसे पाना के नाम से जाना जाता है। मराठी में इसे पाँचू और गुजराती में पीलू के नाम से संबोधित किया जाता है। फारसी में इसे जमुर्रद कहा जाता है, जबकि अंग्रेजी में इसे एमराल्ड के नाम से जाना जाता है।
बैरुज स्टोन, जो पन्ना रत्न के समान रंग और प्रभाव रखता है, वास्तव में पन्ना का पूरक उपरत्न है। रत्नों के व्यापारी अक्सर बैरुज स्टोन को पन्ना रत्न बताकर ग्राहकों को बेचते हैं। इस स्टोन का अंग्रेजी नाम एक्वामेरीन है, जो हल्का हरा, हल्का नीला या पीले रंग का होता है। देखने में यह आकर्षक और सुंदर लगता है, लेकिन इसके गुणों की दृष्टि से यह नगण्य है।
पन्ना रत्न के उपरत्न के रूप में एक्वामेरीन या बैरुज का उपयोग किया जाता है, लेकिन यह पन्ना के गुणों की तुलना में बहुत कम मूल्यवान होता है। इसलिए, उपभोक्ताओं को सावधानी बरतनी चाहिए और सही जानकारी के साथ ही रत्नों की खरीदारी करनी चाहिए। पन्ना रत्न की विशिष्टता और मूल्य को समझना आवश्यक है ताकि उपभोक्ता सही निर्णय ले सकें।
असली पन्ना रत्न हरे रंग की चमक और आभा का संचार करता है। यह रत्न न केवल लोचदार और भारी होता है, बल्कि इसकी सतह भी स्वच्छ और चिकनी होती है। तापमान के प्रति इसकी सहनशीलता हीरे और माणिक्य के समान होती है, और इसे उच्च तापमान पर गर्म करने पर यह टूटता नहीं है। हालांकि, इसकी भंगुरता के कारण इसे आघात लगने पर टूटने का खतरा बना रहता है। अँगूठी में इसे जड़ते समय यदि सावधानी नहीं बरती गई, तो यह रत्न आसानी से चूर-चूर हो सकता है।
यदि किसी व्यक्ति की कुंडली में बुध ग्रह कमजोर स्थिति में है, तो वह व्यक्ति यदि शुद्ध और निर्दोष पन्ना रत्न को विधिपूर्वक धारण करता है, तो इससे बुध ग्रह की शक्ति में वृद्धि होती है। इसके विपरीत, यदि वह पन्ना रत्न दोषपूर्ण या दूषित अवस्था में हो, तो यह धारक के लिए अनेक प्रकार की अशुभता और बाधाओं का कारण बन सकता है।
पन्ना रत्न का आकार और मूल्य चाहे कितना भी बड़ा और मूल्यवान क्यों न हो, यदि वह दोषपूर्ण है, तो उसकी प्रभावशीलता कम हो जाती है। इस प्रकार, रत्न का चयन करते समय उसकी गुणवत्ता और स्थिति का ध्यान रखना अत्यंत आवश्यक है, ताकि धारक को सकारात्मक परिणाम मिल सकें।
दोषयुक्त पन्ना
पन्ना रत्न के दोषपूर्ण और हानिकारक होने के कई संकेत होते हैं, जो निम्नलिखित हैं। यदि पन्ना में रेखाओं का जाल हो, या वह आभाहीन हो, या उसमें छोटी-छोटी धारियाँ मौजूद हों, तो यह सदोष माना जाता है। इसके अतिरिक्त, रत्न में गड्ढे, खुरदरापन, या फीका रंग भी इसके दोषपूर्ण होने के लक्षण हैं। यदि पन्ना में एक सीधी रेखा खड़ी हो, या दो प्रकार के रंग दिखाई दें, या पीले या लाल रंग के बिंदु उपस्थित हों, तो यह भी इसके दोष का संकेत है। इसके अलावा, सोने या शहद के रंग के दाग-धब्बे भी रत्न की गुणवत्ता को प्रभावित करते हैं।
पीला पन्ना रत्न कभी भी धारण नहीं करना चाहिए। आभाहीन, गड्ढेदार और धारियों से युक्त पन्ना रत्न को भूलकर भी नहीं पहनना चाहिए। ऐसे रत्न न केवल व्यक्ति के लिए हानिकारक होते हैं, बल्कि ये उनकी मानसिक और शारीरिक स्थिति को भी प्रभावित कर सकते हैं। इसलिए, पन्ना रत्न का चयन करते समय उसकी गुणवत्ता और विशेषताओं का ध्यान रखना अत्यंत आवश्यक है।
शुद्ध अवस्था में पन्ना रत्न मादकतावर्धक होता है। यदि पन्ना रत्न से बनी प्याली में मदिरा का सेवन किया जाए, तो मदिरा का नशा अत्यधिक बढ़ जाता है। कई राजाओं और नवाबों ने इसी कारण से पन्ना रत्न से निर्मित प्यालियों में मदिरा का सेवन किया, ताकि वे मदिरा की मादकता को बढ़ा सकें। इस प्रकार, पन्ना रत्न का उपयोग केवल उसकी गुणवत्ता के आधार पर करना चाहिए, ताकि इसके लाभों का सही तरीके से उपयोग किया जा सके।
पन्ना किसे धारण करना चाहिए
पन्ना रत्न किसे धारण करना चाहिए, यह एक महत्वपूर्ण प्रश्न है। वे व्यक्ति जो लेखा-जोखा, बैंकिंग या व्यवसायिक क्षेत्रों में कार्यरत हैं, उनके लिए पन्ना रत्न धारण करना अत्यंत लाभकारी होता है। इसके अतिरिक्त, गर्भवती महिलाएं यदि इस रत्न को धारण करती हैं, तो उन्हें प्रसव के समय अधिक कठिनाइयों का सामना नहीं करना पड़ता। पन्ना रत्न का एक और महत्वपूर्ण गुण यह है कि यह प्रेत आत्माओं के प्रभाव से सुरक्षा प्रदान करता है।
पन्ना रत्न का प्रभाव केवल व्यक्तिगत सुरक्षा तक सीमित नहीं है, बल्कि यह सामाजिक संबंधों में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। जब कोई व्यक्ति पन्ना रत्न धारण करता है, तो उसके आस-पास के लोग उसकी ओर आकर्षित होते हैं और उसकी बातों पर सहमति प्रकट करने लगते हैं। यह रत्न न्यायालय में न्यायिक कार्यों की सफलता में भी सहायक माना जाता है, जिससे न्यायाधीशों पर सकारात्मक प्रभाव पड़ता है।
इसके अलावा, प्रेम संबंधों को मजबूत और स्थायी बनाने में भी पन्ना रत्न की विशेष भूमिका होती है। यदि पति-पत्नी या प्रेमी युगल अपने प्रेम का वास्तविक आनंद लेना चाहते हैं, तो उन्हें पन्ना रत्न धारण करने की सलाह दी जाती है। इस रत्न के माध्यम से वे अपने संबंधों में एक नई ऊर्जा और मजबूती का अनुभव कर सकते हैं।
पन्ना रत्न धारण की विधि
ज्योतिष के विशेषज्ञों के अनुसार, पन्ना रत्न को स्वर्ण धातु की अँगूठी में धारण करने से उत्तम परिणाम प्राप्त होते हैं। इसे बुधवार के दिन, विशेषकर जब ज्येष्ठा या रेवती नक्षत्र हो, पहनना अत्यंत लाभकारी माना जाता है। पन्ना रत्न अपने भीतर अद्वितीय शक्तियों को समेटे हुए होता है, जो व्यक्ति के जीवन में सकारात्मक परिवर्तन ला सकता है।
यदि कोई व्यक्ति अपने कुंडली का विश्लेषण कराकर बुध ग्रह को अनुकूल बनाने के लिए शुद्ध और निर्दोष पन्ना रत्न को विधिपूर्वक धारण करता है, तो उसे जीवन के विभिन्न क्षेत्रों में आश्चर्यजनक सफलता प्राप्त होती है। यह रत्न न केवल मानसिक शांति प्रदान करता है, बल्कि व्यक्ति की सोचने की क्षमता और निर्णय लेने की शक्ति को भी बढ़ाता है।
इस प्रकार, पन्ना रत्न का सही समय और विधि से धारण करना व्यक्ति के जीवन में महत्वपूर्ण बदलाव ला सकता है। ज्योतिषाचार्यों की सलाह के अनुसार, इस रत्न का उपयोग करने से व्यक्ति को अपने लक्ष्यों की प्राप्ति में सहायता मिलती है और वह अपने जीवन में सकारात्मक दिशा में आगे बढ़ सकता है।
पन्ना रत्न स्वर्ण या चाँदी की अंगूठी में जड़वाना चाहिए। किसी भी शुक्ल पक्ष के बुधवार को, सूर्य के उदय के बाद, इसकी प्राण प्रतिष्ठा करना आवश्यक है। अंगूठी के शुद्धिकरण और प्राण प्रतिष्ठा के लिए सबसे पहले इसे पंचामृत, जिसमें दूध, गंगाजल, शहद, घी और शक्कर का मिश्रण होता है, में डालें। इसके बाद, बुध देव के नाम पर पांच अगरबत्तियाँ जलाएं और प्रार्थना करें कि "हे बुध देव, मैं आपका आशीर्वाद प्राप्त करने के लिए आपका प्रतिनिधि रत्न पन्ना धारण कर रहा हूँ, कृपया मुझे अपना आशीर्वाद प्रदान करें।"
इसके बाद, अंगूठी को पंचामृत से निकालकर 108 बार अगरबत्ती के ऊपर से घुमाते हुए "ऊँ बुं बुधाय नमः" मंत्र का जाप करें। इसके पश्चात, अंगूठी को भगवान विष्णु के चरणों से स्पर्श कराकर कनिष्ठिका अंगुली में धारण करें। पन्ना धारण करने के 30 दिनों के भीतर इसका प्रभाव दिखना शुरू हो जाता है। यह प्रक्रिया न केवल रत्न की शक्ति को जागृत करती है, बल्कि इसे धारण करने वाले व्यक्ति के लिए भी लाभकारी होती है।
इस विधि का पालन करने से व्यक्ति को बुध ग्रह की सकारात्मक ऊर्जा प्राप्त होती है, जो उसके जीवन में समृद्धि और सफलता लाने में सहायक होती है। नियमित रूप से इस प्रक्रिया का पालन करने से व्यक्ति की मानसिक स्थिति में सुधार होता है और वह अपने कार्यों में अधिक सफल होता है। इस प्रकार, पन्ना रत्न का सही तरीके से धारण करना अत्यंत महत्वपूर्ण है।
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