ऋषि पंचमी में महिलाओं के लिए क्यों जरुरी है पूजा जानें दुर्ग भिलाई ज्योतिष लक्ष्मी नारायण से

ऋषि पंचमी

ऋषि पंचमी महिलाओं के लिए क्यों जरुरी है पूजा जानें दुर्ग भिलाई ज्योतिष लक्ष्मी नारायण से

8 सितंबर 2024 दिन रविवार ऋषि पंचमी व्रत

पूजा का मुहूर्त - सुबह 11.03 - दोपहर 01.34

ऋषि पंचमी व्रत

ऋषि पंचमी का व्रत 8 सितंबर 2024, रविवार को आयोजित किया जाएगा। इस दिन यदि महिलाएं गंगा नदी में स्नान करती हैं, तो उन्हें इसका फल कई गुना अधिक मिलता है। ऋषि पंचमी के अवसर पर विशेष मंत्रों का जाप करना भी अत्यंत शुभ माना जाता है, जिससे व्यक्ति को आध्यात्मिक लाभ की प्राप्ति होती है।

यह पर्व भाद्रपद मास के शुक्ल पक्ष की पंचमी तिथि को मनाया जाता है। इस दिन व्रत करने से व्यक्ति को जन्म और मृत्यु के चक्र से मुक्ति प्राप्त करने का अवसर मिलता है, साथ ही रजस्वा के दोषों से भी छुटकारा मिलता है। महिलाओं के लिए यह व्रत विशेष महत्व रखता है, क्योंकि यह उन्हें आध्यात्मिक शुद्धता और कल्याण की दिशा में आगे बढ़ने का मार्ग प्रशस्त करता है।

ऋषि पंचमी का व्रत न केवल धार्मिक दृष्टि से महत्वपूर्ण है, बल्कि यह सामाजिक और सांस्कृतिक परंपराओं का भी प्रतीक है। इस दिन की विशेष पूजा और अनुष्ठान से व्यक्ति के जीवन में सकारात्मक परिवर्तन आ सकते हैं। इस पर्व के माध्यम से महिलाएं अपने परिवार और समाज के लिए एक नई ऊर्जा और प्रेरणा का स्रोत बनती हैं।

महिलाओं के लिए ऋषि पंचमी व्रत का महत्त्व

ऋषि पंचमी व्रत का आयोजन विशेष रूप से महिलाओं के मासिक धर्म से संबंधित है। हिंदू धर्म में यह मान्यता है कि महिलाओं को इस अवधि में धार्मिक क्रियाकलापों से दूर रहना चाहिए। यदि इस समय किसी प्रकार का धार्मिक कार्य किया जाता है या अनजाने में कोई गलती हो जाती है, तो ऋषि पंचमी व्रत के माध्यम से सप्त ऋषियों की पूजा करके उन दोषों से मुक्ति प्राप्त की जा सकती है।

पौराणिक कथाओं के अनुसार, मासिक धर्म के दौरान महिलाओं को धार्मिक कार्यों से वंचित रखा जाता है। इस नियम का पालन न करने पर महिलाओं को अपराध बोध का अनुभव होता है। इस मानसिक स्थिति को सुधारने के लिए ऋषि पंचमी का व्रत किया जाता है, जिससे उन्हें मानसिक शांति और संतोष प्राप्त होता है।

इसके अतिरिक्त, ऋषि पंचमी व्रत का पालन करने से महिलाओं की मनोकामनाएं भी पूर्ण होने की संभावना बढ़ जाती है। यह व्रत न केवल धार्मिक दृष्टिकोण से महत्वपूर्ण है, बल्कि यह महिलाओं के लिए एक आत्मिक और मानसिक संतुलन स्थापित करने का भी माध्यम है। इस प्रकार, ऋषि पंचमी व्रत का महत्व महिलाओं के जीवन में एक विशेष स्थान रखता है।

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ऋषि पंचमी पूजन की तैयारी

ऋषि पंचमी के अवसर पर पूजा करने की विधि इस प्रकार है। इस दिन प्रातःकाल स्नान करने के बाद अपने घर के पवित्र स्थान पर हरिद्रा आदि से चौकोर मंडल बनाना चाहिए। इसके बाद उस मंडल पर सप्तर्षियों की स्थापना करें और गंध, पुष्प, धूप, दीप तथा नैवेद्य आदि से उनका पूजन करें। इस दौरान अर्घ्य अर्पित करना भी आवश्यक है।

पूजा के बाद, अकृष्ट (बिना बोयी हुई) पृथ्वी में उत्पन्न होने वाले शाकादि का सेवन करें और ब्रह्मचर्य का पालन करते हुए व्रत का पालन करें।

ऋषि पंचमी पूजन की विधि

ऋषि पंचमी की पूजा विधि का आरंभ घर की स्वच्छता से करना आवश्यक है। प्रातःकाल घर की सफाई के पश्चात, सप्त ऋषियों के साथ देवी अरुंधति की प्रतिमा को स्थापित करें। पूजा आरंभ करने से पूर्व, पूरे घर में गंगा जल का छिड़काव करें, जिससे वातावरण शुद्ध और पवित्र हो सके। इसके बाद, अगरबत्ती या धूप जलाकर वातावरण को सुगंधित करें।

सप्त ऋषियों की तस्वीर के समक्ष जल से भरा हुआ कलश रखें। इसके बाद, सप्त ऋषियों को धूप और दीप दिखाते हुए, पीले रंग के फल-फूल और पीली मिठाइयाँ अर्पित करें। इस दौरान, अपनी गलतियों के लिए सप्त ऋषियों से क्षमा याचना करें। इसके पश्चात, ऋषि पंचमी की कथा का श्रवण करना महत्वपूर्ण है, जिससे इस दिन का महत्व समझा जा सके।

कथा के बाद, सप्त ऋषियों की आरती करें और सभी उपस्थित लोगों में प्रसाद वितरित करें। पूजा समाप्त होने पर, घर के बड़े-बुजुर्गों के चरण स्पर्श करें और उनका आशीर्वाद प्राप्त करें। इस प्रकार, ऋषि पंचमी की पूजा विधि को पूर्ण करते हुए, श्रद्धा और भक्ति के साथ इस पर्व का पालन करें।

ऋषि पंचमी मंत्र

ऋषि पंचमी मंत्र निचे दिया है, लेकिन अगर आप चाहे तो अपने इष्ट देव का मन्त्र या जिस मन्त्र को आप नित्य करते है उसे भी आप कर सकते है। ऋषि पंचमी मंत्र इस प्रकार है।

कश्यपोत्रिर्भरद्वाजो विश्वामित्रोथ गौतमः जमदग्निर्वसिष्ठश्च सप्तैते ऋषयः स्मृताः दहंतु पापं सर्व गृह्नन्त्वर्ध्यं नमो नमः॥

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