दुर्ग भिलाई के ज्योतिष लक्ष्मी नारायण आपको बताएँगे ज्योतिष और आम आदमी का संसार

दुर्ग भिलाई के ज्योतिष लक्ष्मी नारायण आपको बताएँगे ज्योतिष और आम आदमी का संसार

दुर्ग भिलाई के ज्योतिष लक्ष्मी नारायण आपको बताएँगे ज्योतिष और आम आदमी का संसार

* वर्तमान में जब विज्ञान और प्रौद्योगिकी का उत्कर्ष हमारे समक्ष है, और हम ग्रहों तथा नक्षत्रों से लेकर चंद्रमा और सितारों तक की सीमाओं को पार करने के प्रयास कर रहे हैं, तब यह आवश्यक हो जाता है कि हम अपने वेद-शास्त्रों को इस ज्ञान और विज्ञान का मूल स्रोत मानें। सूर्य को जगत की आत्मा और चंद्रमा को इसका मन माना गया है। मंगल को धरती का साहस और शौर्य, जबकि बुध को वाणी और गणित का प्रतीक माना जाता है। बृहस्पति धर्म और आस्था का प्रतीक है, वहीं शुक्र प्रेम और कला का भंडार है। शनि ग्रह से कृषि, श्रम और विनाश का मूल्यांकन किया जाता है, जबकि राहु की राजनीति और केतु का प्रपंच भी इस संसार में महत्वपूर्ण स्थान रखता है।

* यही तत्व हमें समाज, देश और मानवता के प्रति कुछ करने की प्रेरणा प्रदान करते हैं, लेकिन यह प्रश्न उठता है कि हमें क्या करना चाहिए? कुछ न कुछ अवश्य करना होगा। कुछ करना ही भाग्य को आकार देने का माध्यम है। यदि बिना प्रयास के कुछ प्राप्त होता है, तो उसका अनुभव अक्सर निरस होता है, मीठा नहीं। मानव जीवन के आरंभ और अंत के बीच का यह संघर्ष ही हमें आगे बढ़ने के लिए प्रेरित करता है।

* इस संदर्भ में, यह स्पष्ट है कि हमारे वेद-शास्त्रों में निहित ज्ञान और विज्ञान का गहन अध्ययन हमें न केवल आत्मिक विकास की ओर ले जाता है, बल्कि समाज के प्रति हमारी जिम्मेदारियों को भी उजागर करता है। हमें अपने प्रयासों के माध्यम से न केवल व्यक्तिगत लाभ, बल्कि सामूहिक कल्याण की दिशा में भी कदम बढ़ाने की आवश्यकता है। इस प्रकार, हम अपने ज्ञान और विज्ञान के माध्यम से एक बेहतर भविष्य की ओर अग्रसर हो सकते हैं।

* वर्तमान समय में चाहे हम शहरी जीवन जी रहे हों या ग्रामीण, असुरक्षा, अस्थिरता और असंतोष की भावना ने मानव मन को प्रभावित किया है। सफलता की चाहत में लोग युक्ति, बुद्धि और परिश्रम की आवश्यकता महसूस करते हैं, लेकिन आज के समाज में तिकड़म, चालाकी, भ्रष्टाचार और धूर्तता का बोलबाला है। इस स्थिति में पाखंड का प्रचलन बढ़ गया है, जबकि सच्चाई को नजरअंदाज किया जा रहा है। ईमानदारी और सत्य के मार्ग पर चलना अब दीनता और लाचारी के समान प्रतीत होता है, जबकि तर्क और चतुराई को आधुनिकता का प्रतीक माना जा रहा है।

* इस समय में गंभीर और जटिल मुद्दों पर विचार करने का समय नहीं रह गया है। आज के लोग केवल सफलता की प्राप्ति और उसके सिलसिले की चिंता में लगे हुए हैं। यह सोचने की प्रवृत्ति ने मानवता को एक ऐसे मोड़ पर ला खड़ा किया है, जहां वे केवल बाहरी दिखावे और आधुनिकता के पीछे भाग रहे हैं। इस दौड़ में धर्म, कर्म और न्याय की अवधारणाएं कहीं खो गई हैं, और लोग केवल भौतिक उपलब्धियों की ओर अग्रसर हैं।

* इस संदर्भ में, यह आवश्यक है कि हम अपने मूल्यों और नैतिकता की ओर लौटें। केवल भौतिकता के पीछे भागने के बजाय, हमें अपने आचार-व्यवहार और समाज के प्रति अपनी जिम्मेदारियों को समझना होगा। यदि हम सच्चाई, ईमानदारी और न्याय के मार्ग पर चलने का प्रयास करें, तो हम न केवल अपने जीवन को सार्थक बना सकते हैं, बल्कि समाज में भी सकारात्मक परिवर्तन ला सकते हैं। यह समय है कि हम अपने भीतर की असुरक्षा और असंतोष को दूर कर, एक सशक्त और संतुलित जीवन की ओर बढ़ें।

* यह कोई आश्चर्य की बात नहीं है। कलियुग के विस्तार के संदर्भ में यह स्थिति पहले से ही निर्धारित थी। भविष्य में विज्ञान की प्रगति और ज्ञान की गिरावट दोनों ही देखने को मिलेंगी। विज्ञान नई ऊंचाइयों को छूने में सक्षम होगा, जबकि ज्ञान की स्थिति अत्यंत दयनीय होगी। इस स्थिति में केवल भविष्यवक्ताओं और पाखंडियों का ही वर्चस्व रहेगा। इनके अलावा कुछ अन्य जादूगर भी अपने कौशल का प्रदर्शन कर रहे हैं।

* कुछ लोग चेहरे की पहचान करने में सक्षम हैं, जबकि अन्य रहस्यमय ध्वनियों का अनुभव करते हैं। कुछ व्यक्तियों के पास विशेष सिद्धियाँ हैं, जबकि अन्य ने साधना के माध्यम से भूतों को वश में कर रखा है। कुछ लोग पाखंड और धार्मिकता की आड़ में लोगों का शोषण कर रहे हैं। इन सभी का एक ही उद्देश्य है, भटके हुए मानव का शोषण करना।

* प्राचीन काल में, जब भारत ज्ञान और विज्ञान के क्षेत्र में समृद्ध था और शिक्षा का एक प्रमुख केंद्र था, तब वाराहमिहिर और पराशर मुनि जैसे महान विद्वानों ने मानवता को खगोल विज्ञान की जानकारी प्रदान की। आर्य भट्ट जैसे गणितज्ञ और कालिदास जैसे काव्यशास्त्री उस समय के प्रमुख व्यक्तित्व थे, जिन्होंने अपने ज्ञान से समाज को समृद्ध किया।

* यह सत्य है कि एक वर्ग, जिसे रेसनलिस्ट कहा जाता है, का तर्क है कि ज्योतिष का कोई वास्तविक आधार नहीं है, क्योंकि ग्रह पिण्ड बहुत दूर स्थित हैं और उनका हमारे जीवन पर कोई प्रभाव नहीं पड़ता। शनि, राहु-केतु जैसे तत्वों को वे केवल कल्पना या अपरिपक्व सोच का परिणाम मानते हैं। इस विचारधारा को स्वीकार करने वालों की भी एक बड़ी संख्या है। फिर भी, क्या इसमें कोई हानि है यदि हम ग्रहों की दशा और अंतर्दशा के अनुसार अपने कार्यों की योजना बनाएं? चाहे हम अपनी शांति के लिए अनुष्ठान करें या रत्न धारण करें, इसका क्या नुकसान हो सकता है?

* ज्योतिष के क्षेत्र में और भी कई गहराइयाँ हैं। आपके ग्रहों के लिए एक कर्म कुंडली होती है, जिसका विश्लेषण आपकी जीवनधारा को निर्धारित करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। चाहे आप एक ज्योतिर्विद हों या केवल जिज्ञासु, अपने नक्षत्र, राशि और राशि के स्वामी ग्रह की जानकारी होना आवश्यक है।

* वर्तमान समय में जो परिवर्तन मानव चेतना और संवेदना पर प्रभाव डाल रहे हैं, वे स्थायी नहीं होंगे। परिवर्तन के इस दौर में कुछ लोग खुश होते हैं, जबकि कुछ निराश भी होते हैं, लेकिन प्रगति और विकास कभी पीछे मुड़कर नहीं देखते। वे हमेशा आगे बढ़ने की चाह रखते हैं। भौतिकता की चरम सीमा के बाद, प्रकृति का विनाशकारी चक्र फिर से शुरू होता है, और मानव फिर उसी स्थिति में लौट आता है, जहां से उसने शुरुआत की थी, लेकिन यह समय एक और शताब्दी के बाद ही आएगा। फिर भी, उस समय भी ज्योतिष जीवित रहेगा, शास्त्र और संहिताएं बनी रहेंगी, और नई खोजों के बावजूद मानवता का ज्ञान और अनुभव यथावत रहेगा।

* यह मानव की निर्दयी बुद्धि का परिणाम है, जिसके कारण विनाश के द्वार एक बटन दबाने पर खुल सकते हैं। मानव इतिहास इसी निर्माण और विनाश के बीच का एक जटिल ताना-बाना है। मनुष्य ने केवल वही विकल्प चुना है जो मानवता को जीवित रख सके, जबकि शैतान ने वही किया है जो उसकी स्वयं की समाप्ति का कारण बना। यदि मानव की प्राथमिकता मानवीय दृष्टिकोण को अपनाने में निहित है, तो मानवता के लिए संकट का कोई कारण नहीं होना चाहिए। ग्रहों के सकारात्मक और नकारात्मक संचार से यह दृष्टिकोण आकार लेता है, और यहीं से उसके अच्छे और बुरे दिनों की घटनाएँ प्रारंभ होती हैं, जो अंततः उसे ज्योतिषी की ओर ले जाती हैं।

* ज्योतिष शाश्वत रहेगा, लेकिन ज्योतिषी का जीवन सीमित है। ज्योतिषी की रचना उसके निधन के बाद भी उसे अमर बनाए रखती है, क्योंकि काल की धारा को मापने की एकमात्र विद्या ज्योतिष है, जिसका फलित अनंत काल तक जीवित रहता है। इस प्रकार, मानवता और ज्योतिष के बीच का संबंध एक गहरा और जटिल है, जो समय के साथ विकसित होता रहता है।

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